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नान स्टाप राइटिंग चेलैंज 2022 एडीशन 1 भाग्य का खेल ( भाग 5)

                         अनामिका की सौतेली माँ पल्लवी को   अब अपनी करनी पर बहुत  क्रोध आरहा था । वह सोच रही थी उसने ऐसा क्यौ किया।उसने अनामिका के साथ जो किया है अब वह उसका बदला अवश्य लेगी।



   पल्लवी अनामिका की सफलता पर खुश नही थी । वह शर्म के कारण उससे मिलने भी नहीं जाना चाहती थी परन्तु लोक लज्जख के कारण उसे वहाँ जाना पडा़ था।

      राघव सर अनामिका के बिषय मे उसके पापा राम अवतार से बात करना चाहते थे। परन्तु अनामिका ने उनको पहले ही मना कर दिया था।

     राघव का बेटा अमेरिका में डाक्टरी की पढाँई कर रहा था।   राघव के बेटे का नाम अमन था। अभी अनामिका की कही पोस्टिग नही हुई थी।

     इसी बीच अमन  इन्डिया आया। जब उसकी नजर अनामिका पर पडी़ वह उसको देखकर    पहली ही नजर में उसकी  सुन्दरता पर अपना दिल न्यौछाबर कर बैठा।

     अमन ने अपनी मम्मी से पूछा," माँ हमारे होस्टल मे ये लड़की कौन है।?"
  
      अमन की मम्मी बोली," यह लड़की अपने हास्टल की इन्चार्ज थी।"

   अमन बीच में ही बात काटकर बोला,"  क्या यह छोड़कर जारही है।?:

             "हाँ अब यह किसी जिले की अधिकारी बनने वाली है  अभी इसने   UPSC  की  परीक्षा  पास की है।  क्या तुझे पसन्द है तो तेरे लिए बात करू। यह बहुत साधारण लगने वाली लड़की स्वभाव की बहुत अच्छी है।तेरे पापा इसे रेलवे स्टेशन से बिना पहचान के लेआये थे। मैने तेरे पापा को मना किया था तब बोले थे तू क्या समझेगी यह  हमारे स्कूल के होस्टल को  बहुत अच्छा सम्भाल लेगी। और उसने इतना अच्छा काम किया कि सभी बच्चे खुश है अब जब बच्चौ को मालूम हुआ है कि अनामिका जारही है सब बच्चे रोने लगे थे।" 
  
       अमन को उसका नाम भी मालूम होगया। अमन तो पहले ही उसको अपना दिल दे बैठा था। अब उसको अपनी मम्मी की बातौ से आगे बढ़ने का अवसर मिलगया।

        एक दिन अमन सुबह टहल रहा था सामने सीमेन्ट की चेयर पर अनामिका बैठी थी। अमन को तो किसी ऐसे मौके की तलाश थी  और वह भी वही बैठ गया।

      "हैल्लो अनामिका कैसी हो?" अमन ने अनामिका से पूछा।

अनामिका को मालूम था यह राघव सर का बेटा है।

""  मै ठीक हूँ आप अमेरिका से कब आये?" अनामिका ने पूछा।

    "आप मुझे जानती है?" अमन ने आश्चर्य से पूछा।

              "जिस तरह आप मेरा नाम जानते हो बैसे ही मै भी आपको जानती हूँ मै तो आपसे मिली भी थी।" अनामिका ने पासा फैका।

      "मुझसे कब मिली आप?" अमन उसके इस जबाब से चकित रहगया।

      "आपसे नही तो आपके फोटो से सर ने बताया था कि यह हमारे साहब जादे है जो आजकल अमेरिका मे डाक्टर बनने गये है।" अनामिका बोली।

     अमन को अनामिका इस तरह खुलकर बात करना बहुत अच्छा लगा। अब तो वह उसको और अधिक चाहने लगा।

    अमन बोला," अनामिका  मै बहुत ही खुले बिचारौ का हूँ ।मै तुम्है पहली ही नजर में अपना दिल दे बैठा हूँ ।तबतक तो मुझे यह भी नही मालूम था कि तुम कौन हो क्या नाम है? नाम तो मम्मी ने बताया था।" अब अमन आप से तुम  कहकर सम्बोधित करने लगा था।

         "नहीं अमन  पहले तो मैने इस बिषय मे कभी सोचा ही नही है  और अभी हम एक दूसरे को जानते नहीं है इस तरह  मुझे जल्दी करने की आदत नहीं है। पहले हमें एक दूसरे को जानना परखना चाहिए। हाँ इतना अवश्य कहूँगी कि मै सर की बात नही टालूँगी। मै उनकी बहुत ऋणी हूँ कि उन्हौने मुझे सहारा दिया।" इतना कहकर अनामिका जाने लगी।

          क्रमशः।
नोट:- यह रचना कैसी लगी कृपया अपनी समीक्षा अवश्य दै। धन्यवाद।

नरेश शर्मा
 नान स्टाप राइटिंग चेलैन्ज 2022 एडीशन 1 के लिए लिखी गयी रचना।

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10 Comments

Haaya meer

10-May-2022 06:09 PM

Amazing

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Muskan khan

09-May-2022 06:59 PM

Nice

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Neelam josi

09-May-2022 06:47 PM

Nice 👍🏼

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